एकेएस विश्वविद्यालय में ग्रामीण विकास की परिकल्पना एवं संभावनायें विषय पर भव्य संगोष्ठी
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सतना। एकेएस वि.वि. सतना के सभागार में एग्रीकल्चर संकाय के द्वारा ग्रामीण विकास की परिकल्पना एवं संभावनायें विषय पर भव्य संगोष्ठी का आयोजन किया गया। विंध्य क्षेत्र के शैक्षणिक गौरव एकेएस विश्वविद्यालय सतना में क्षेत्र के किसानों के लिये यह कार्यक्रम आयोजित किया गया। आयोजन के दौरान क्षेत्र के तकरीबन 300 किसानों ने कार्यक्रम में सहभागिता दर्ज कराई। संगोष्ठी का मुख्य उद्देश्य किसानों को कृषि की नई तकनीकों से अवगत कराना, कृषकों की विभिन्न समस्याओं का समाधान करना और वि.वि. परिक्षेत्र का भ्रमण करके यह जानना कि खेती को लाभ का धंधा कैसे बनायें। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. पारितोष के. बानिक रहे, अध्यक्षता वि.वि. के चेयरमैन अनंत कुमार सोनी ने की। कार्यक्रम के दौरान विभिन्न वक्ताओं ने भिन्न विषयों पर जानकारी देते हुए उस विषय पर विस्तार से प्रकाश डाला। डाॅ. एस.एस. तोमर ने ग्रामीण विकास की परिकल्पना एवं संभावनाएं संकल्प से सिद्धि तक विषय पर समस्त पहलुओं पर प्रकाश डाला। वर्तमान के बदलते परिवेष में कृषि उत्पादन वृद्धि में मृदा परीक्षण के महत्व को डाॅ. नन्दराम ने रेखांकित किया। जैविक खेती के महत्व पर वैद्य अब्दुल वारसी ने बताया कि वर्तमान के माहौल में जैविक खेती एक महत्वपूर्ण विकल्प है, फसल उत्पादन के उन्नत तकनीकों से डी.पी. चतुर्वेदी ने किसानों से चर्चा की। डाॅ. त्रिभुवन सिंह ने उद्यानिकी फसलों के महत्व, डाॅ. डूमर सिंह ने फसलों में लगने वाले रोग एवं निदान, डाॅ. आर.सी. पाण्डेय ने पौधों की बीमारी एवं निदान, डाॅ. के.पी. मिश्रा ने पशुओं के रोग एवं रोकथाम, सात्विक बिसारिया रावे समन्वयक ने फसलों में लगने वाले कीट एवं निदान, इंजी. अजीत सराठे ने कृषि अभियांत्रिकी और इंजी. अभिषेक गौरव ने खाद्य प्रसंस्करण पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में कृषि वैज्ञानिक और किसान एक ही मंच पर उपस्थित रहकर एक दूसरे से जानकारियां शेयर करने में सफल रहे। कार्यक्रम अपने उद्देश्यों में पूरी तरह से सफल रहा। यहां पर आकर किसानों ने एकेएस वि.वि. का आभार मानते हुए यह कहा कि वि.वि. द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम हमें नई रोशनी प्रदान करने में सफल रहा है। वि.वि. द्वारा मिली नई तकनीकें हमें उन्नत फसलों के उत्पादन में मदद करेंगी। इस मौके पर वि.वि. के प्रतिकुलपति विकास डाॅ. हर्षवर्धन और डाॅ. आर.एस. त्रिपाठी की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।