एकेएस वि.वि. में मनाया गया जगदगुरु आदि शंकराचार्य जी का प्राकट्य दिवस विद्यजनों द्वारा की गई अद्वेत वेदान्त के प्रणेता शंकराचार्य के व्यक्तित्व व कृतित्व पर चर्चा
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विन्घ्य क्षेत्र के शैक्षणिक गौरव एकेएस वि.वि. की वैश्विक सोच के तहत महान विभूतियों और मनीषियों पर चर्चा एवं संवाद निरंतर होता है वि.वि. मे लगातार वैश्विक स्तर के व्याख्यान भी आयोजित होते हैं। इसी कडी मे एकेएस वि.वि के सभागार में आध्यात्मिक जगत के महान संत जगतगुरु आदि शंकराचार्य के प्राकाट्य दिवस 1 मई को कार्यक्रम का आयोजन किया गया। चर्चा में अपनी बात रखते हुए विद्यजनों ने बताया कि भारत के चार कोनों पर चार मठों की स्थापना अदि गुरु शंकराचार्य के द्वारा की गई थी। भारतीय संस्कृति के विकास मे आदि शंकराचार्य का विशेष योगदान रहा है। भारतवर्ष में प्रचलित तत्कालीन कुरीतियों को दूर करने में भी आपका महान कार्य रहा है प्रकाण्ड पंडित मण्डन मिश्रा के साथ आदि शंकराचार्य की धर्मचर्चा और विजय पर भी विस्तार से प्रकाश डाला गया, वक्ताओ ने बताया कि आठ वर्ष की अवस्था में उन्हें चारों वेदों का ज्ञान हो गया था और महज 32 वर्ष की अवस्था में उन्होने शरीर त्याग दिया पर तब तक वह विश्व मे प्रसिद्व हो चुके थे। इस मौके पर वि.वि. के कुलपति प्रो. पारितोष के बनिक,चेयरमेन अनंत कुमार सोनी, प्रतिकुलपति डाॅ हर्षवर्धन,डाॅ आर.एस.त्रिपाठी,ओएसडी प्रो.आर.एन.त्रिपाठी ,प्रो. जी.सी.मिश्रा के साथ सभी विभागों से विद्यजन उपस्थित रहे।कार्यक्रम का संचालन डी.पी.मिश्रा ने किया और शंकराचार्य जीे के जीवन के कुछ अहम पहलुओं जैसे उनके साहित्य एवं धर्म बोध पर उन्होंने संचालन के दौरान भी जानकारी दी।