भारतीय ज्ञान-कृषि मे होमा थेरेपी के विशेषज्ञ उलरिच पहुॅचे एकेएस वि.वि. होमा थेरेपी के बारे मे की विस्तार से बातचीत-जर्मन विशेषज्ञ ने बताया इसका महत्व
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एसोचैम द्वारा वर्ष 2017 के ‘‘बेस्ट इनोवेटिव यूनवर्सिटी एवार्ड से नवाजी गई एकेएस वि.वि. के सभागार में जर्मनी के वैज्ञानिक एवं होमाथेरेपी के जर्मन पे्रसीडेन्ट प्रो. हेनरिक बर्क ने भारत की प्राचीन पद्वति होमा थेरेपी पर विस्तृत व्याख्यान दिया। गौरतलब है कि प्रो. बर्क जर्मनी के मूल निवासी है पर उन्होंने अपने रिसर्च का विषय होमाथेरेपी को चुना एकेएस वि.वि. के बायोटेक संकाय के छात्र-छात्राओं के लिए विषय नया भी था और कौतूहल का केन्द्र भी था छात्र-छात्राओं से बातचीत करते हुए प्रो. बर्क ने बताया कि यह थेरेपी पूरी तरह से कृषि के लिए महत्वपूर्ण है और अन्य रासायनिक तरीकों से बेहद सुरक्षित एवं वातावरण के अनुकूल है।कार्यक्रम का विषय‘‘इफेक्ट आॅफ अग्निहोत्र आॅन अवर इन्वायर्नमेंट एण्ड इट्स यूज आॅन फार्मिग‘‘ रखा गया था। डाॅ बर्क ने होमाथेरेपी के मंत्र का विधिवत जाप किया उन्होने बताया कि वल्र्ड हेल्थ आर्गनायजेशन की रिपोर्ट के मुताबिक समूचे विश्व में 6 मिलियन लोगों की मौत प्रदूषण की वजह से हां रही है ओर यह स्थिति और विस्फोटक हो सकती है अगर हमने इस ओर ध्यान नहीं दिया भारतवर्ष में अकेले दिल्ली मे प्रदूषण काफी विपरीत दशा मे हे इसी वजह से स्कूले बंद है और नए निर्माण पर भी पाबंदी है। इनफैक्ट ‘‘होमाथेरेपी इज द साइंस आॅफ हीलिंग एटमोस्फेयर‘‘और इसी मिशन को लेकर डाॅ बर्क विभिन्न याूनिवर्सिटीज ओर काॅलेजेज में जाकर भारत की इस प्राचीन विधा का प्रचार प्रसार कर रहे है ओर इसके अच्छे सकारात्मक परिणाम भी मिल रहे हैं। उन्होने बताया कि होमाथेरेपी सूर्योदय ओर सूर्यास्त के समय ही की जाती है और इस समय इसकी थेरेपी से अभूतपूर्व फायदा भी खेती मे होता है। गेंहूॅ,केला,गन्ना,वनीला के उपर इसके चमत्कारिक परिणाम मिले हैं इन पौधो में नए शूट की वृद्वि होमाथेरेपी से सर्वाधिक दर्ज की गई है। मध्यप्रदेश के इन्दौर और उज्जैन में इसका काफी प्रसार है। डाॅ बर्क ने एकेएस वि.वि. के पाॅच छात्रों को होमाथेरेपी पर रिसर्च के लिए भी आमंत्रित किया। कार्यक्रम के दौरान एकेएस वि.वि. के चेयरमैन अनंत कुमार सोनी, महामंडलेश्वर भूमानंद,प्रो.तोमर,प्रो. चैरे के साथ बायोटेक विभाग के छात्र-छात्राऐं उपस्थित रहे।