अध्यात्म व्याख्यानमाला में मानवीय मष्तिष्क एवं प्राणायाम पर चर्चा
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जीवन में बौद्धिक एवं भौतिक सफलता के लिए प्राणायाम एवं ध्यान की है उपयोगिता
ध्यान वास्तव में गहरी अनुभूति का नाम है जो चमत्कारिक रुप से हमारे जीवन को उजाले प्रदान करती है यह पक्तियाॅ वि.वि. के सभागार मे आयोजित व्याख्यानमाला में विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डाॅ. शिव पूजन सिंह ने ‘‘जीवन में असीम बौद्धिक एवं भौतिक सफलता प्राप्ति के लिए प्राणायाम एवं ध्यान की सरल विधियाँ’’ विषय पर एक प्रायोगात्मक व्याख्यान के दौरान कहीं। । डाॅ. शिवपूजन ने कहा कि मानवीय मस्तिष्क की प्रक्रिया को चार अवस्थाओं में विभाजित किया जा सकता है जैैसे-अचेतन मन, चेतन मन, अवचेतन मन एवं अतिचेतन मन। अचेतन मन बेहोशी की अवस्था है, चेतन मन से हम रोजमर्रा की सारी गतिविधियों को सम्पन्न करते हैं, अवचेतन मन की अवस्था को आत्मानुभूति की अवस्था जैसा कहा जा सकता है, और इस अवस्था को प्राणायाम और ध्यान की सरल विधियों से अनुभव किया जा सकता है। अवचेतन मन की गहरी अनुभूति द्वारा हम अपनी सुशुप्त शक्तियों को जागृत कर अपनी सृजनात्मक एवं रचनात्मक शक्ति को मूर्त रूप देकर अपनी बौद्धिक एवं भौतिक उपलब्धियों को चमत्कारिक रूप से बढ़ा सकते हंै। अतिचेतन मन सम्पूर्ण अस्तित्व का एकात्म रूप है।अवचेतन मन को अतिचेतन शक्तियों के द्वार के रूप में प्रयुक्त कर हम अपने जीवन की उपलब्धियों को चमत्कारिक रूप से असीम कर सकते है। महार्षि गोरखनाथ की ध्यानावस्था हंसते खेलते हुए सरल विधियों से होती है अवचेतन को जागृत कर अतिचेतन से जुड़कर जीवन में बड़ी सफलताओं को सृजित किया जा सकता है। ध्यानावस्था या समाधि की अवस्था को इलेक्ट्रो इनसेफेलोग्राफ मशीन समाधि की अवस्था को अल्फा स्टेट आॅफ माइंड के नाम से वर्गीकृत एवं मेजरमेंट करती है। प्रो. सिंह ने कपालभाती, सक्रिय-कपालभाती,विपस्यना और योगनिन्द्रा विधियों का क्रियान्वित रूप प्रस्तुत किया। व्याख्यान के दौरान इमोशनल क्वोशन और स्पिरिचुअल क्वोशन का भी वर्णन किया गया, इमोशनल क्वाॅशन एवं स्पिरिचुअल क्वाशन हमारी जीवन में सफलता के लिए इंटेलिजेन्स क्वाशन से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हैं। सभागार में विश्वविद्यालय के चेयरमैन अनंत कुमार सोनी,डाॅ0 आर.एस. पाठक, प्रो. आर.एन. त्रिपाठी, आर.के. श्रीवास्तव, स्वामी भूमानन्द के साथ सभी संकाय के छात्र-छात्राओं को प्राणयाम और ध्यान के लिए प्रेरित किया गया।