एकेएस विश्वविद्यालय के पाॅली हाउस में उगाई गई स्वादिष्ट अद्भुत लौकी वि. वि. के एग्रीकल्चर संकाय के प्रयासों का है परिणाम - आकर्षण का है केंद्र
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एकेएस विश्वविद्यालय शेरगंज स्थित पाॅलीहाउस में नरेन्द्र शिवानी और नरेन्द्र शिशिर नामक लौकी उन्न्त प्रजातियां इस समय फलत मे है। इन प्रजातियों के परीक्षण के लिए डाॅ. शिवपूजन सिंह प्रो. एग्रीकल्चर संकाय एकेएस वि. वि. एवं प्रियंका मिश्रा द्वारा बुआई का कार्य 28 अगस्त 2016 को संपन्न किया गया। नरेन्द्र शिवानी के फलों की लम्बाई वर्तमान में 5 फुट के आस-पास हो चुकी है और इनकी लम्बाई 2‘‘ से 3‘‘ प्रतिदिन की गति से बढ़ रही है। कुछ दिनों में इस फलों की लम्बाई 6 फीट से अधिक हो जाने की सम्भावना है। लौकी की यह प्रजाति उपर्युक्त रखरखाव के बाद अक्टूबर से फरवरी तक लगभग 5 माह फलती ही रहती है। एकेएस विश्वविद्यालय में यह लौकी किसानों के खेत पर प्रदर्शन के लिए एवं शुद्ध बीज के लिए उगाई जा रही है। विश्वविद्यालय के पाॅलीहाउस प्रक्षेत्र में गोल फलों वाली प्रजाति नरेन्द्र शिशिर भी लगाई गई है। इसकी पत्तियां सामान्य लौकी की पत्तियांे की तुलना में भिन्न है। जो करेले या पपीते की पत्तियों के समान कटी हुई होती है। इन प्रजातियों की पैदावार मचान विधि से मध्य जुलाई में बुआई करके 700 से 1300 क्विंटल प्रति हैक्टेयर किया गया है। एक पौधे से पौधे के बीच पर्याप्त दूरी एवं उचित देखभाल से 50 से 200 खाने योग्य फल प्रति पौधों प्राप्त किया जा सकता है। लौकी एक अनूठी सब्जी है जो सब्जी के अतिरिक्त अन्य कई रूपों जैसे औषधि वाद्ययन्त्र, सजावट आदि के रूप में प्रयुक्त होती है। लैाकी केे कोमल फल मध्य प्रदेश सहित पूरे उत्तर भारत के मैदानी भागों में बाजार में वर्ष-भर उपलब्ध रहते हैं। लौकी की प्रजातियाँ दो प्रकार की होती है- शीत कालीन एवं ग्रीष्म कालीन प्रजातियां। इन दोनो प्रजातियों के बीज वि. वि. में किसानों के लिए अगले वर्ष खेती के लिए अप्रैल-मई 2017 में उपलब्ध हो सकेगी। जिसे वि. वि. से प्राप्त किया जा सकता है ।