जैविक खेती समय की मांग-डाॅ.पाण्डेय( प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक) एकेएस विश्वविद्यालय में एक दिवसीय सेमिनाॅर
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सतना। एकेएस विश्वविद्यालय में एग्रीकल्चर साइंस एवं टेक्नाॅलाॅजी विभाग द्वारा कृषि विज्ञान में अध्ययनरत छात्रों को कृषि तकनीकियों में हो रहे नित नये परिवर्तनों एवं जैविक कृषि की विशेष जानकारी प्रदान किये जाने के उद्देश्य से ‘रिकंस्ट्रक्शन आॅफ इंडियन एग्रीकल्चर’ विषय पर डाॅ. रघुवंशमणी पाण्डेय (प्रसिद्ध वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष फूड एण्ड एग्रीकल्चर इन्टीग्रेटेड डेवलपमेंट एक्शन, (एफएआईडीए) का एक दिवसीय सेमिनार आयोजित किया गया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डाॅ. पाण्डेय ने उपस्थितजनों को सम्बोधित करते हुए कहा कि वर्तमान में फूड और एग्रीकल्चर के एकीकरण की आवश्यकता है। उन्होंने नेचुरल फार्मिंग(प्राकृतिक खेती) पर जोर देते हुए हरित क्रान्ति की बात कही, उन्होंने कहा कि वर्तमान में भी 70 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर होने के बावजूद कृषि उत्पादन मे कमी आई है। आजादी के समय 50 प्रतिशत राष्ट्रीय आय का हिस्सा कृषि थी जो अब 12 से 15 प्रतिशत ही रह गई है। 1883 में अंग्रेज साइंटिस्ट वूलमर की रिपोर्ट के अनुसार भारत में वैज्ञानिक खेती होती थी जिसमें 500 प्रकार के हल थे। भारत ने वर्तमान में 1000 तरह की कृषि भूमियां हैं। उन्होंने छात्रों से अपील की कि वे विषमुक्त अनाज का उत्पादन करें, रावे योजना के अंतर्गत सातवें सेमेस्टर के छात्रों से उन्होंने अपील की कि गाँवों में जाकर प्राकृतिक खेती की सलाह कृषकों को दें। विद्यार्थी एवं युवा देश के भविष्य हैं। उन्होंने छात्रों से एंत्रप्रेन्योरशिप स्किल के विकास की बात कही। इस अवसर पर वि.वि.के कुलपति प्रो. पी.के. बनिक, चेयरमैन अनंत कुमार सोनी, प्रतिकुलपति डाॅ. आर.एस. त्रिपाठी, डाॅ. हर्षवर्धन प्रो. आर.एन. त्रिपाठी डाॅ. आर.एस. पाठक, डाॅ. एस.एस. तोमर, डाॅ. नीरज वर्मा और संकाय के फैकल्टीज के साथ छात्र छात्राएं उपस्थित रहे।
मीडिया विभाग
एकेएस विश्वविद्यालय, सतना