एकेएस विश्वविद्यालय में ‘‘नई शिक्षा नीति’’ पर विशेष सम्मेलन शिक्षा को रोजगार परक एवं मानव मूल्य संवर्धित होना चाहिए-डाॅ. देशपाण्डे
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भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा टी.एस.आर. सुब्रमणयम् समिति द्वारा तैयार की गये नई शिक्षा नीति प्रारूप पर जन-सामान्य, प्रबुध वर्ग तथा विषय-विशेषज्ञो के सुझाव हेतु प्रसारित की गई है। इसी संदर्भ में एकेएस विश्वविद्यालय के सभागार में एक विशेष सम्मेलन का आयोजन किया गया।
ये विशिष्टजन रहे उपस्थित
सम्मेलन के मुख्य अतिथि डाॅ. देशपाण्डे (अवकाश प्राप्त प्राचार्य स्नातकोत्तर महाविद्यालय, महाराष्ट्र एवं राष्ट्रीय प्रचारक राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ) रहे तथा विशिष्ठ अतिथि डाॅ. के.एन. यादव (कुलपति अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय, रीवा), डाॅ. पी.के. बनिक, (कुलपति एकेएस विश्वविद्यालय, सतना) एवं चेयरमैन इंजी. अनंत कुमार सोनी रहेे।ललित माहेश्वरी द्वारा अतिथियों के स्वागत-संबोधन के पश्चात् बौद्धिक प्रमुख उत्तम बनर्जी ने डाॅ. देशपाण्डे का संक्षिप्त परिचय देते हुए विषय के संदर्भ में विस्तृत जानकारी दी।
डाॅ. देशपाण्डे ने दिया विभिन्न शैक्षणिक पहलुओं पर व्याख्यान
डाॅ. देशपाण्डे ने उपस्थिजनों को संबोधित करते हुए वर्तमान परिवेश में बेसिक तथा उच्च शिक्षा से संबंधित समस्त विषयों पर सारगर्भित विचार व्यक्त किए। उन्होने कहा कि देश में स्कूली शिक्षा में प्रवेशी विद्यार्थियों की संख्या में उत्साहजनक वृद्धि हुयी है। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सकल नामांकन संख्या भी संतोषजनक हो गयी है। फिर भी इसमें वृद्धि की आवश्यकता है। डाॅ. देशपाण्डे ने शिक्षा को रोजगार परक एवं मानव मूल्य संवर्धित बनाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होने कहा कि आधुनिक विज्ञान तकनीकी के साथ-साथ हमें मानव सांस्कृतिक मूल्यों से समावेशी शिक्षा चाहिए जिससे भारत देश भविष्य में पुनः विश्व गुरू बनेगा। क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय परिवेश में हो रहे परिवर्तन इस बात का संकेत देते है, कि भारत वर्ष को मार्गदर्शन करने के लिए आगे बढ़ना होगा जिससे कि मानव कल्याण एवं विश्व शांति स्थापित हो। उन्होने कहा कि देश के विकास के लिए शोध कार्यो में गुणवत्ता आवश्यक है।
चर्चा के अहम बिन्दुओं पर एकेएस वि.वि. के पदाधिकारियों ने दिए सुझाव
चर्चा में भाग लेते हुऐ चेयरमैन अंनत कुमार सोनी ने महत्वपूर्ण सुझाव प्रस्तुत किए और कहा कि शासकीय एवं निजी विश्वविद्यालयों में शासन की संपूर्ण नीतियां समान होनी चाहिए। क्योंकि वर्तमान दौर में निजी विश्वविद्यालय उच्च एवं तकनीकी शिक्षा में अपना महत्वूर्ण योगदान दे रहे है, इनके प्रोत्साहन से देश और समाज में विकास के नये आयाम स्थापित हो रहे है। प्रतिकुलपति डाॅ. हर्षवर्धन ने कौशल विकास केन्दो की स्थापना एवं उच्च शिक्षा को उद्योग जगत से सतत् जोड़ने के सुझाव दिए उन्होने यह भी कहा कि निती वि.वि. को छात्रावास निर्माण,शोध कार्य प्रयोगशाला जैसे कार्यों के लिए शासकीय वि.वि. के समान अनुदान राशियाॅ स्वीकृत होनी चाहिए। ओ.एस.डी. प्रो. आर.एन. त्रिपाठी ने सुझाव दिया कि भारत सरकार के सभी मंत्रालय समग्र रूप से एक सर्वेक्षण कर पंचवर्षीय योजना बनाए जिससे ये निश्चित हो सके कि कितने अर्ध शिक्षित एवं उच्च शिक्षित युवाओं की अन्य विभागो में आवश्यकता है। इससे विभिन्न विषयों में प्रवेश लेने वाले एवं उत्तीर्ण होने वालो की संख्या में एकरूपता होने से बहुत अधिक सीमा तक नव युवको की बेरोजगारी दूर हो सकती हैंे जिससे सामाजिक संतुलन भी स्थापित हो सकेगा। प्रतिकुलपति डाॅ. आर.एस. त्रिपाठी ने विश्वविद्यालय के स्वयत्तता नियमों पर प्रकाश डालते हुए विस्तार से चर्चा की और इस पर गंभीरता पूर्वक पुनः विचार करने का सुझाव दिया। शासकीय इंदिरा कन्या महाविद्यालय के डाफ.एम.पी.सिंह ने विज्ञान विषय पर अपने सुझाव दिए। पंरपरागत ज्ञान, विज्ञान एवं शोध केन्द्र के डायरेक्टर डाॅ. भूमानंद स्वामी ने अनेक स्थानों के उदाहरण देते हुऐ प्राचीन पद्धतियों को अपनाने के सुझाव दिए एवं कहा कि गौ-दूध एवं गौ-मूत्र सबसे बडी औषधि है।
इनकी उपस्थित रही उल्लेखनीय
कार्यक्रम में एकेएस विश्वविद्यालय के डायरेक्टर अवनीश सोनी, विद्यार्थी परिषद के प्रांतीय महामंत्री मुकेश तिवारी, शासकीय पी.जी. महाविद्यालय एवं कन्या महाविद्यालय के साथ विश्वविद्यालय के डीन, डायरेक्टरर्स एवं विभागाध्यक्ष की उपस्थिति उल्लेखनीय रही। कार्यक्रम के अंत में आभार प्रदर्शन इंजी. प्रो. आर.के. श्रीवास्तव द्वारा किया गया।