‘हिमगिरी के उत्तुंग शिखर पर बैठ शिला की शीतल छांह’-कैलाशचंद पंत विश्व भाषा हिन्दी, संभावनाएं एवं दिशाएं पर व्याख्यान माला एकेएस के सभागार में कैलाशचन्द्र पंत ने दिया उद्बोधन
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सतना। शनिवार को एकेएस विश्वविद्यालय के सभागार में मघ्यप्रदेश राष्ट्र भाषा प्रचार समिति जिला इकाई सतना द्वारा ”विषय भाषा हिन्दी, संभावनाएं एवं दिशाएं” विषय पर व्याख्यान माला का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम में हिन्दी के उज्जवल और गंभीर पक्ष पर चिन्तन
कार्यक्रम के प्रमुख वक्ता कैलाशचन्द्र पंत (मंत्री संचालक) ने जयशंकर प्रसाद की कामायनी से ली गई पंक्तियां ‘हिमगिरी के उत्तुंग शिखर पर बैठ शिला की शीतल छांह’ को उधृत करते हुए ‘विश्व भाषा,हिन्दी संभावनाएं एवं दिशाएं’ पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि व्यक्तित्व निर्माण के लिये जिस प्रकार सबसे पहले अपने को धिक्कारना बंद करना है उसी तरह राष्ट्र व राष्ट्र भाषा हिन्दी के प्रति सम्मान व्यक्त कर हम इसे माथे पर टीके की तरह बना सकते हैं।हिन्दी भारत की अतीत की उपलब्धियों , गौरव व वर्तमान की विलक्षणता, ओज के साथ भविष्य की सुनहरी बुनियाद बनेगी। समन्वय एवं सामंजस्य भारत की परम्परा है और हिन्दी इसे और विशिष्ट बनाती है।
सम्पूर्ण विश्व भारत की ओर देख रहा है- कैलाशचंद पंत
भारत विश्व गुरू था और भविष्य भी भारत की तरफ आशा भरी आंखों से देख रहा है। राष्ट्रपिता महात्मा गाॅधी के विचारों को उधृत करते हुए उन्होंने कहा कि अंग्रेजी सभ्यता ही नहीं यूरोपियन सभ्यता भी शैतान का स्वरूप है जो मानव पर नहीं मशीन पर विश्वास रखती है। उन्होंने हिन्दी के गौरव ‘‘हिन्द स्वराज‘‘ की विशिष्टता पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि विदेशों में हिन्दी का परचम लहरा रहा है। जो दर्शन सही दिशा दिखाए वही हिन्दी में निहित है। इस अवसर पर सभागार में अन्य उपस्थित जनों ने भी विषय के संबंध में अपने विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन इंजी. आर.के. श्रीवास्तव ने किया।
ये विशिष्ट जन रहे उपस्थित
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति बी.पी. सोनी, प्रहलाद अग्रवाल, शुभम मुनीन्द्र, संतोष खरे (व्यंगकार), आत्माराम तिवारी, चिन्तामणि मिश्र, प्रतिकुलपति डाॅ. हर्षवर्धन, गोपाल शर्मा,प्रिज्म सीमेंन्ट, वि.वि. के डायरेक्टर अवनीश सोनी एवं वि.वि. के फैकल्टीज और छात्र छात्राएं उपस्थित रहे।
मीडियविभाग
एकेएस विश्वविद्यालय, सतना