‘‘क्लाइमेंट चेन्ज एंड सस्टेनेबल एग्रीकल्चर ‘‘पर व्याख्यान
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‘‘कोदो- फिंगर मिलेट फाॅर हेल्थ एंड इन्वायर्नमेन्टल सिक्योरिटी’’की दी जानकारी
सेामवार को एकेएस विश्वविद्यालय में सेन्टर फाॅर ट्रेडिशनल रिसर्च एंड एप्लीकेशन की स्थापना के उद्येश्यों पर व्यापक विमर्श किया गया। भारतवर्ष की विविधता एवं परम्परिक ज्ञान स्वास्थ्य के क्षेत्र में, आयुर्वेद में खेती-किसानी में हो इन सबको सस्टेन रखना है। प्राचीन काल मे मध्यप्रदेश के शासक सुरपाल ने वृक्ष आयुर्वेद की रचना की वृक्ष आयुर्वेद में 350 मन्त्रों के द्वारा भू-भाग में होने वाली वैज्ञानिक ढंग की खेती के बारे में विस्तार से बताया गया है। फैकल्टी आॅफ एग्रीकल्चर एंड बाॅयोटेक्नोलाॅजी द्वारा ‘‘क्लाइमेंट चेन्ज एंड सस्टेनेबल एग्रीकल्चर फिंगर मिलेट फाॅर हेल्थ एंड इन्वायर्नमेन्टल सिक्योरिटी’’ विषय पर आयोजित व्याख्यान में प्रो. के.एन. भट्ट (जी.बी. पन्त सोशल साइंस इंस्टीट्यूट यूनिवर्सिटी आॅफ इलाहाबाद) ने विद्यार्थियों को फिंगर मिलेट (रागी) की उपयोगिता से परिचित कराया। प्रो. भट्ट ने बताया कि रागी (कोदा) ेएक ऐसा अनाज है जो माइनर मिलेट्स में आता है। इसे कन्या कुमारी के शून्य सी लेबल से लेकर 9000 फीट तक उगाया जा सकता है अनेक औषधीय एवं पौष्टिक तत्व मौजूद है होने के साथ ही रागी डायबिटीज रोगियों के लिए रामबाण है। इसमे प्रचुर मात्रा में फाइबर, कैल्शियम एवं आयरन मौजूद है। गोविन्द बल्लभ साइंस रिसर्च इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों द्वारा इसके खाद्य पदार्थ केक, बिस्कुट, कुकीज इत्यादि बनाए जाते है इसके बीज की विशेषता यह है कि इसके उपर किसी कीट का असर नहीं होता इसे लम्बे समय तक स्टोर करके रखा जा सकता है। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के चेयरमैन अनंत कुमार सोनी, डाॅ. भूमानन्द सरस्वती, डाॅ. आर.एस. पाठक, डाॅ. नीरज वर्मा के साथ एग्रीकल्चर संकाय केे फैकल्टीज एवं छात्र-छात्राएँ उपस्थित रहें। कार्यक्रम के अंत में वि.वि. के चेयरमैन अनंत कुमार सोनी ने मोमेन्टो देकर सम्मानित किया। कार्यक्रम ‘‘क्लाइमेंट चेन्ज एंड सस्टेनेबल एग्रीकल्चर‘‘पर विद्यार्थियों के प्रश्न भी उत्तरित किए गए।