एकेएस विश्वविद्यालय में विद्या परिषद् की अहम बैठक सम्पन्न कई महत्वपूर्ण निर्णयों पर लगी मुहर
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सोमवार को एकेएस विश्वविद्यालय में विद्या परिषद् की महत्वपूर्ण बैठक कुलपति प्रो. परितोष के. बनिक की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई। बैठक में वर्ष-2016-17 के लिए सर्वसम्मति से विभिन्न निर्णय लिये गये। सर्वप्रथम विद्या परिषद् में छठवीं बैठक की कार्यवृत्ति का अनुमोदन किया गया। विश्वविद्यालय मंे सत्र 2016-17 में प्रवेश हेतु आर्हता में संशोधन के प्रस्ताव पर विचार विमर्श करते हुए डाॅ. आर.एस. त्रिपाठी ने सदन को बताया कि प्रवेश आर्हता के नियम पूर्ववत् रहेंगे और मध्यप्रदेश शासन एवं रैग्यूलेटरी कमीशन द्वारा निर्धारित मापदण्डों का पालन किया जाएगा। इसी तरह 2016-17 वर्ष में भी प्रवेश के लिए सीटों की संख्या पूर्ववत् रखी जा रही है। मध्यप्रदेश शासन के आरक्षण नियमों को ध्यान में रखते हुए ही प्रवेश दिया जायेगा। यदि सीट रिक्त रहती है तो सामान्य वर्ग से सीटे भरी जायेगी। विश्वविद्यालय के कुलपति ने सदन को अवगत कराया कि विश्वविद्यालय में इसी सत्र से परम्परागत ज्ञान को वैज्ञानिक आधार देने हेतु शोध संस्थान की स्थापना की गई है। जिसे इसी सत्र से प्रारंभ किये जाने का प्रस्ताव है। जिसे सदन ने ध्वनि मत से अनुमोदित किया गया। इस रिसर्च सेंटर की विशेषता यह होगी कि इसमें सतना जिले के विभिन्न वन अंचलों में विलुप्त होने वाली वन्य प्रजातियों पर वैज्ञानिक आधार पर शोध किया जाएगा ताकि उनका औषधीय लाभ जन-सामान्य को मिल सकें। एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए विद्या परिषद् ने यह प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया की च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम को सत्र 2016-17 में इंजीनियरिंग विभागों में भी लागू किया जाएगा। इस व्यवस्था का लाभ यह होगा कि अधिसंख्य छात्र अपनी रुचि के अनुसार विभिन्न अल्पावधिक पाठ्यक्रमों को भी पूर्ण करते हुए लाभान्वित होगें। इस अवसर पर यह भी निर्णय लिया गया कि इस सत्र से विश्वविद्यालय महत्वपूर्ण एवं नवीन पाठ्यक्रमों को भी प्रारंभ करने जा रहा है जिनमें फैशन डिजाइनिंग, डिप्लोमा इन वेस्ट मैनेजमेंट, आर्गनिक फार्मिंग के सर्टिफिकेट कोर्स आदि के साथ कौशल विकास के अन्य छोटे-छोटे सर्टिफिकेट कोर्स प्रारंभ किये जा रहे है ताकि छात्रों को दक्षता संवर्धन से भी जोड़ा जा सके। इस सत्र में यू.जी.सी. के निर्देशानुसार विभिन्न पाठ्यक्रमों में छात्रों को आॅनलाईन/ आॅफलाईन दोनों ही माध्यमों से प्रवेश सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। डाॅ. त्रिपाठी ने बताया कि प्रवेश की प्रक्रिया 01 अप्रैल, 2016 से प्रारंभ की जा रही है। अतः जो छात्र किसी भी प्रकार की जानकारी चाहेगे। वह टोल फ्री नम्बर पर उपलब्ध रहेंगा। विस्तृत विज्ञापन शीघ्र ही प्रसारित किया जायेंगा। इसी तरह विश्वविद्यालय में संचालित पी.एच.डी. कोर्स वर्क पूर्ण हो जाने के उपरांत अब कुछ फैकल्टीज में पी.एच.डी. की सुविधा उपलब्ध है जिनमें मैनेजमेंट मैकेनिकल, एग्रीकल्चर, काॅमर्स इत्यादि शामिल है। अतः जो छात्र पी.एच.डी. करना चाहते है वे विश्वविद्यालय के डिप्टी डायरेक्टर डाॅ. नीरज वर्मा से सम्पर्क कर सकते है। विश्वविद्यालय की विशेषता पर चर्चा करते हुए बताया गया कि यू.जी.सी. के दिशा निर्देश के आधार पर ग्रेडिंग सिस्टम को लागू किया गया है और इस बैठक में उत्तीर्ण होने हेतु न्यूनतम प्रतिशत में आवश्यक परिवर्तन किया गया है। बैठक में प्लेसमंेंट सेल की उल्लेखीनय उपलब्धियों पर प्रशंसा की गई। अन्त में विद्या परिषद् के प्रति आभार प्रदर्शन डाॅ. हर्षवर्धन प्रतिकुलपति एवं प्रो. आर.एन. त्रिपाठी डीन बेसिक साइंस द्वारा किया गया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के चेयरमैन अनंत कुमार सोनी, डायरेक्टर अवनीष सोनी, डाॅ. भूमानंद, इंजीनियरिंग डीन डाॅ. जी.के. प्रधान, डाॅ. आर.पी.एस. धकरे, डाॅ. आर.एस. निगम, डाॅ. शेखर मिश्रा, विवेक श्रीवास्तव, इंजी. आर.के. श्रीवास्तव, डाॅ. आर.एस. पाठक, इंजी. जी.सी. मिश्रा, डाॅ. नीरज वर्मा, डाॅ. असलम सईद, डाॅ. कमलेश चैरे, प्रो. एस.पी. गुप्ता की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।