कृषि क्षेत्र के लिए वरदान होमाथैरपी ,प्रो. उलरिच बर्क ,जर्मन साइंटिस्ट एकेएसयू में पवित्र अग्नि में होम करके वातावरण को निर्मल करनें की थेरेपी-अग्निहोत्रम, ‘‘एक्पेरिमेन्टेसन आॅन होमाथैरपी फॅार सस्टेनेबल एग्रीकल्चर टू रिजूवनेट वैदिक सांइस’’
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कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो. उलरिच बर्क,जर्मनी इमिनेंट साइंटिस्ट एवं प्रोफेसर ने‘‘एक्पेरिमेन्टेसन आॅन होमाथेरेपी फॅार सस्टेनेबल एग्रीकल्चर टू रिजूवनेट वैदिक सांइस’’ विषय पर दो दिवसीय शोध संगोष्ठी को संबोधित किया। उन्होने होमाथैरीपी के क्षेत्र में किये गये शोध कार्यो के माध्यम से वैदिक विज्ञान के विकास में एक नई दिशा का समावेश किया है। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डाॅ. गोपाल शर्मा, भाभा एटाॅमिक रिसर्च इंस्टीट्यूट, मुम्बई के प्रधान वैज्ञानिक रहे। महामंडलेश्वर स्वामी भूमानंद ने प्रो. बर्क के द्वारा किये गये महान शोध कार्यो के विषय में उपस्थित प्रबुद्वजनों एवं छात्र-छात्राओं को अवगत कराया गया। एकेएस विवि के कुलपति प्रो. बनिक ने छात्रों को शोध क्षेत्र की उपयोगिता तथा कृषि के विकास में इसकी सहभागिता के विषय में प्रेरित किया।
तकनीकी सत्र में प्रो. उलरिच बर्क ने दिया व्याख्यान
तकनीकी सत्र के दौरान प्रो. बर्क ने छात्र-छात्राओं को होमाथैरेपी पर ज्ञानपूर्ण व्याख्यान दिया प्रो.बर्क ने कहा कि होमाथैरेपी आधुनिक समय में पर्यावरण प्रदूषण को नियंत्रित करने में तथा वाटर, स्वाईल, एग्रीकल्चर की क्वालिटी इम्प्रूवमंेट के लिए अभूतपूर्व योगदान दे रही है। होमा थेरेपी ऐसी तकनीकी है जिसके माध्यम से हम भारतवर्ष की कृषि पद्धतियों में महत्वपूर्ण सुधार लाते हुए कृषि की गुणवत्ता बढ़ा सकते है एवं सम्पूर्ण पर्यावरण के शुद्धिकरण के द्वारा मानव जाति को स्वच्छ पर्यावरण का उपहार दे सकते है।
वैदिक विज्ञान के विभिन्न पहलुओं पर डाॅ. शर्मा का व्याख्यान
डाॅ. शर्मा ने अपने व्याख्यान में वैदिक विज्ञान के विभिन्न आयामों को क्वान्टम फिजिक्स की सहायता से विश्लेषित करने की बात कही साथ ही यह बताया की आज के इस परिवेश में यदि हम विश्व गुरू बनाना चाहते है तो हमें सबसे पहले अपने आध्यात्म, वेदों, विज्ञान, सांस्कृति एवं कला के उन पहलुओं की ओर ध्यानाकर्षण करना होगा जिससे हम यह जान पाए कि वस्तुतः हम कौन हैं? यदि हमने इन पहलुआंे को जान लिया तो निश्चित ही इतिहास स्वयं को दोहराएगा और एक बार फिर स्वामी विवेकानंद जैसे महापुरुषों का अवतरण इस भारत भूमि में होगा। कार्यक्रम का शुभारंभ 15 फरवरी एवं समापन 16 को किया गया। कार्यक्रम उद्घाटन सत्र में विश्वविद्यालय के चेयरमैन अनंत कुमार सोनी, प्रतिकुलपति डाॅ. आर.एस. त्रिपाठी एवं विभिन्न विभागों के डीन, विभागाध्यक्ष, फैकल्टी मेम्बर्स एवं छात्र-छात्राएँ उपस्थित रहें। इस पूरे कार्यक्रम का संचालन डाॅ. कमलेश चैरे ने किया एवं आभार प्रदर्शन प्रतिकुलपति डाॅ. हर्षवर्धन एवं प्रो. आर.एन. त्रिपाठी ने किया। कार्यक्रम के सफल आयोजन में डाॅ. सूर्यप्रकाश गुप्ता, डाॅ. दीपक मिश्रा, रेनी निगम की भूमिका सराहनीय रही।