एकेएस विश्वविद्यालय में ध्यान के लिए तीन दिन का सहज योग
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बचपन में दिल की सुनते थे ,बड़े होने पर दिमाग की सुनते है- डाॅ. संजय सिंह, हार्टफुलनेश
एकेएस विश्वविद्यालय के सभागार में सोमवार को ”सहज योग संस्था” द्वारा मेडिटेशन और सेल्फ रियलाइजेशन का आयोजन हुआ। डाॅ. संजय सिंह ने सभागार में उपस्थित मैनेजमेंट एवं विभिन्न संकाय के फैकल्टीज को बताया कि श्री माता जी निर्मला देवी के कथनानुसार ”सहज योग दूसरे योग से इस पहलू पर अलग है कि यह स्वतः अनुभूति से प्रारंभ होता है।” पूरे विश्व में ”सहज योग” के करोड़ों अनुयायी है। ”सहज योग” कार्यक्रम का खुशनुमा माहौल में आरंभ माँ वीणा पाणि के समक्ष दीपों की लौ के साथ किया गया।
तीन चरणों की सहज प्रक्रिया है ”सहज योग”
जैसे-जैस सहज योग और हार्टफुलनेश की अवधारणा को टी.आर.एस. काॅलेज रीवा, में पदस्थ केमेस्ट्री के प्रोफेसर डाॅ. संजय सिंह ने विस्तारित करके बताया तो उपस्थित जनों ने ”सहज योग” किया। उन्हांेने कहा कि बचपन में खेलने का दिल है तो खेलना यानि जो करना है वो करेगें है फिर बड़े हुए तो दिल चला जाता है अहम् में, दिमाग दुनियादारी, भौतिकता, कुटिलता में लगता है और परेशानियां बढ़ती है। ”सहज योग” के पहले चरण में रिलैक्शेसन द्वितीय चरण में प्रश्न लेकर उसी के आस-पास ध्यान का केन्द्र निर्मित करना, तृतीय चरण में ईश्वर की अनुभूति करते हुए उपस्थित सभी जन इंस्ट्रक्टर की आवाज के बीच मेडिटेशन में लीन रहे। विचार शून्यता के स्तर पर सभी ने ”सहज योग” की प्रक्रिया को प्रेरणादायी और रोचक माना। गौरतलब है कि ”सहज योग” की यह प्रक्रिया तनाव कम करने और काम को आनंद में तब्दील करने की गहरी सीख देती है। एकेएस विश्वविद्यालय में पहले ही आध्यात्म को शिक्षा का एक विशेष पहलू नियत किया गया है। मंगलवार को भी आधे घ्ंाटे का ”सहज योग” कार्यक्रम रखा गया। बुधवार को कार्यक्रम का विधिवत् समापन किया जाएगा।
ध्यान के पलों मे ये रहे उपस्थित
डाॅ. दीपमाला भटिजा महिला रोग विशेषज्ञ ने ”सहज योग” के बारे में उपस्थित जनों को रूबरू कराया। ”सहज योग” की पद्धति पर एकेएस के सभागार में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. पी.के. बनिक, चेयरमैन अनंत कुमार सोनी, प्रतिकुलपति डाॅ. हर्षवर्धन, ओ.एस.डी. प्रो. आर.एन. त्रिपाठी के साथ विभिन्न संकाय के फैकल्टीज ने सहभागिता दर्ज कराई।