एकेएस विष्वविद्यालय में अमेरिका में रिसर्च कर रहे स्काॅलर का व्याख्यान
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‘‘डायग्नोस्टिक्स टूलिंग बाॅयोटेक्नालाॅजी एंड देयर एप्लीकेशन्स इन असर सिन्ड्रोम’’
एकेएस विश्वविद्यालय के सभागार सी-11 में ‘‘यूनिवर्सिटी आॅफ यूटा’’ अमेरिका में अध्ययनरत् डाॅ. प्रणव माथुर ने ‘‘डायग्नोस्टिक्स टूलिंग बाॅयोटेक्नालाॅजी एंड देयर एप्लीकेशन्स इन असर सिन्ड्रोम’’ विषय पर रोचक, तथ्यपूर्ण एवं जानकारी पूर्ण व्याख्यान दिया। डाॅ. माथुर एक होनहार एवं प्रतिभावान रिसर्च स्काॅलर है। इनके दस से ज्यादा रिसर्च पेपर अमेरिकी जर्नल में प्रकाशित हो चुके है। गौरतलब है कि 1914 में चाल्र्स असर ने एक सिन्ड्रोम के बारे में शोध किया था। असर सिन्ड्रोम का प्रभाव आँखों की रोशनी एवं श्रवण क्षमता पर काफी बुरा पड़ता है। डाॅ. माथुर ने क्लोनिंग, सीक्वेसिंग, आइसोलेशन, एक्जाॅन्स, एन्ट्रान्स, स्कैनिंग और अन्य जानकारियों पर विस्तार से कृषि संकाय के छात्रों को रूबरू कराया। रिसर्च के क्षेत्र में परिकल्पना (हाइपोथिसिस) का महत्व प्रतिपादित करते हुए डाॅ. प्रणव ने कहा कि माउस माॅडल के द्वारा अनेक फाइंडिंग्स के बीच उन्होंने अमेरिका में ‘‘असर सिन्ड्रोम’’ पर रिसर्च किया। उन्होंने पी.पी.टी. के माध्यम से असर सिन्ड्रोम की विभिन्नताओं, रेमेडी एवं स्कैनिंग के बारे में बताया। व्याख्यान के अन्त में डाॅ. माथुर ने कहा कि रिसर्च के दौरान हाइपोथिसिस अहम है और इसे कई बार प्रयोग के बाद ही मान्यता मिलती है। क्योंकि विज्ञान का अर्थ ही है प्रयोगों द्वारा निर्धारित सही ज्ञान। उन्होंने जीन टेक्नोलाॅजी के बारे में चर्चा के साथ विद्यार्थियों की जिज्ञासाओं पर भी जानकारी दी। कार्यक्रम का शुभारंभ कुलपति प्रो. बनिक ने धन्यवाद देकर किया। व्याख्यान के दौरान कृषि संकाय के डीन एवं फैकल्टी मेम्बर्स उपस्थित रहें।
मीडिया विभाग
एकेएस विष्वविद्यालय सतना