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एकेएस वि. वि. एन्वायरर्नमेंट विभाग का प्रोजेक्ट परसमनिया पठार

Posted by on in Daily University News in Hindi
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b2ap3_thumbnail_14k29_20160113-052112_1.jpgb2ap3_thumbnail_unnamed_20160113-052113_1.jpgगौरतलब है कि मध्यप्रदेश शासन के बाॅयो डायवर्सिटी बोर्ड द्वारा फण्डेड मेजर रिसर्च प्रोजेक्ट सतना जिले के परसमनिया पठार एवं उससे लगे हुए क्षेत्रों की जैव विविधता का आंकलन , संरक्षण एवं प्रोपेगेशन का कार्य एन्वायरर्नमेंट साइंस विभागाध्यक्ष एवं प्रिंसिपल इनवेस्टिगेटर डाॅ. महेन्द्र कुमार तिवारी के निर्देशन मे किया जा रहा है। जिनमें कि इन क्षेत्रों में पाये जाने वाले आरईटी (रेयर इन्डेन्जर्ड थ्रेटेंड) को चिन्हित किया जा रहा है जिनमें बहुमूल्य औषधीय गुण है इनका प्रयोग स्थानीय लोगों द्वारा कई असाध्य रोगेंा के उपचार हेतु किया जाता है लेकिन विभिन्न जलवायुविक, मानव जनित एवं अन्य कारणों से इनकी संख्या में निरंतर कमी आ रही है। इस प्रोजेक्ट केे माध्यम से इन प्रजातियों का टेªडिशनल नाॅलेज ,डाॅक्यूमेंटेशन, कंजर्वेशन एवं प्रोपेगेशन विश्वविद्यालय द्वारा किया जा रहा है।
औषधीय पौधों की एकेएस कैम्पस में वृहद उपलब्धता
उल्लेखनीय है कि विश्वविद्यालय के विशाल कैम्पस में औषधीय पौधों वच, अस्वगंधा, सर्पगंधा, पथरचटा, सतावर, हल्दी ऐलोेवेरा, सदाबहार, ग्रीनहेज, क्रिसमस ट्री, रूद्राक्ष, सिन्दूर प्लांट, काउल मोगरा, चाइना अमरूद, बिगोनिया, वाटल पाॅम, नोलीना, फाइकाल, दहीमन, क्रोटन, पाइनसेटिया, कचनार, साइकस, बनाना पाॅम, लक्ष्मण कंद, महासुदर्शन, योका पाॅम के संरक्षण एवं उत्पादन में सूक्ष्म जीवों एवं माइकोराइजा के प्लांट कंजर्वेशन, प्लांट प्रोपेगेशन, प्लांट साइंटफिक वैलिडेशन एवं विभिन्न रोगों के उपचार एवं मेडिसनल प्लांट की भूमिका कंजर्वेशन(सुरक्षित करने) प्रोपेगेशन(प्रसारित करने) के बारे मे जानकारियां इंस्टीट्यूट में एकत्रित की जाएगी वि. वि. के सभी औषधीय पौधों का डेटाबेस तैयार करवाया जा रहा है। मेडिसिन वल्र्ड में अमूल्य माने जाने वालें मेडिसनल प्लांट विंध्य क्षेत्र के साथ ही वि. वि. परिसर में प्रचुर रूप से उपलब्ध है परिसर में उपलब्ध सजावटी पौधों में गुड़हल, गेंदा, डेहेलिया, लोटस, गुलाब, मधुकामिनी, गुलकाबली, सदाबहार, गुलदाउदी एवं अन्य औषधीय प्रभाव के पौधेंा का अध्ययन फार्मेसी , बाॅयोटेक एवं एग्रीकल्चर, संकाय के विद्यार्थी करेगें
बनेगा ‘‘पारंपरिक मेडिसिन नाॅलेज‘‘ का डेटाबेस
एकेएस वि. वि. में ‘‘रिसर्च सेंटर‘‘ स्थापित होगा। विंध्य क्षेत्र ही नहीं बल्कि समूचे भारतवर्ष में उपलब्ध ‘‘पारंपरिक मेडिसिन नाॅलेज‘‘ का डेटाबेस तैयार किया जा रहा है और इस आॅकडे़ की मदद् से रोगों पर रिसर्च के साथ औषधीय पौधों का प्रोपेगेशन एवं कंजर्वेशन किया जाएगा। हर्बल गार्डन में मौजूद औषधीय महत्व के पौधेंा की फार्माक्लाॅजीकल एवं फाइटोकांस्टिटूयन्ट स्ट्डीज फार्मेसी विभाग द्वारा की जाएगी।
मीडिया विभाग
एकेएसविश्वविद्यालयसतना

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Guest Monday, 18 November 2024