Simple Joomla Templates by Web Hosting

  • Home
    Home This is where you can find all the blog posts throughout the site.
  • Categories
    Categories Displays a list of categories from this blog.
  • Archives
    Archives Contains a list of blog posts that were created previously.

04/03/2014 किसान आई हुई प्राकृतिक आपदा को बनाऐं हथियार और नुकसान से ज्यादा फायदा लें

Posted by on in Daily University News in Hindi
  • Font size: Larger Smaller
  • Hits: 1939
  • 0 Comments
  • Subscribe to this entry
  • Print

 b2ap3_thumbnail_14C04.png

कृषि में विविधीकरण द्वारा प्राकृतिक आपदा के बाद भी उबर सकते है किसान, कम से कम हो सकती है क्षति


एकेएस विश्वविद्यालय,सतना के प्रांगण में ‘‘एग्रीटेक मध्यप्रदेश‘‘-2014 किसान मेले का आयोजन 26-28 फरवरी के बीच इस उद्येश्य से किया गया कि किसानों के जीविकोपार्जन के साधन कृषि को कैसे लाभ का धंधा बनाया जा सकता है मेले की थीम थी ‘‘कृषि में विविधीकरण द्वारा ग्रामीण समृद्वि‘‘ जो वर्तमान समय में मध्यप्रदेश के किसानों के हित में है ज्ञातव्य हो कि खरीफ में अति वृष्टि की मार से सोयाबीन की फसल नष्ट हो गई थी जिसके दर्द से किसान अभी भी उबरा नहीे था कि अचानक जनवरी महीनें में 130 मिमी. वर्षा हो गई तथा 27 व 28 फरवरी को 5मि.मी.बारिस होने तथा ओला वृष्टि के कारण गेहूॅ, जौ, चना, मटर, मसूर, अलसी, अरहर और आम की फसल को भारी नुकसान हुआ है यह अनुमान लगाया गया है कि केवल सलना जिले में लगभग 50 करोड की तथा म.प्र. में अरबो की फसल तबाह हो गई है। रबी की कितनी फसल बर्बाद हुई है सर्वेक्षण से पता चलेगा।

विभिन्न फसलों के नष्ट होने के फलस्वरुप किसानों को 40 से 60 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर की भारी क्षति का अनुमान है कृषि में विविधीकरण के माध्यम से प्राकृतिक आपदा से काफी हद तक बचाव सम्भव है ।माननीय मुख्यमंत्री,मध्यप्रदेश श्री शिवराज सिंह चैहान नें भी कृषको को होने वाले नुकसान को कुछ हद तक पूरा करने का आदेश दिया है ।

परन्तु एकेएस विश्वविद्यालय,सतना के कृषि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संकाय ने इस क्षतिपूर्ति का अलग रास्ता निकाला है ।संकाय के अधिष्ठाता कृषि के अनुसार चना,मटर,तथा मसूर की जो फसल सड गई है उसकी मिट्टी हल से पलट दें जिससे जमीन में नमी बनी रहेगीतथा उर्वरता बनी रहेगी। यदि किसान भाई के पास एक या दो सिंचाई के साधन हैं तो 15 मार्च के पहले तैयार भूमि में मंग ,उड़द या तिल लगाए। मंूग की किस्म ट्राम्बे-37, के-851, पूसा बैशाखी या जवाहर मूंग में से कोई एक किस्म लगाए। उड़द की किस्म जवाहर उड़द-2, जवाहर उड़द-3, पंत उड़द-35 या एल.वी.जी.-20 में से मंग एवं उड़द को बोने से पहले राइजोबियम कल्चर से उपचारित अवश्य करे, इनमें से किसी एक को प्राथमिकता दे। सूर्यमुखी की किस्म पैराडेबी या मोरडन और तिल की किस्म कृष्णा लगाए। मूंग मं तिल या सूरन की अन्तरावर्ती खेती अधिक लाभप्रद पाई गई है। आवश्यकता है इसे अमल में लाकर अधिक आमदनी प्राप्त करने की। 
एकेएस यूनिवर्सिटी के डीन डाॅ. के.आर. मोर्य, डाॅ. आर.पी. जोश् प्रोफेसर रीवा एग्री. काॅलेज, डाॅ. एस.एस. तोमर के साथ विमर्श में सभी ने एक मत से किसान हितैशी विविधीकरण प्रक्रिया से सहमति और एक राय जाहिर की।

 

 

 

0

Comments

  • No comments made yet. Be the first to submit a comment

Leave your comment

Guest Tuesday, 19 November 2024