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 एक्सीलेंस प्रायवेट यूनिवर्सिटीइन इन 2014 के दर्जे से नवाजी जा चुकी एकेएस यूनिवर्सिटी सतना अपने विद्यार्थियों के विकास के प्रति प्रतिबद्ध रहते हुए समय-समय पर विद्यर्थियों के लिये सेमिनार, वर्कशाप, गेस्ट लेक्चर और विजिट के माध्यम से विषय का समुचित ज्ञान कराती है। इसी परिपेक्ष्य में एकेएस विश्वविद्यालय के विद्यार्थी साउथ ईस्टर्न कोल फील्ड लिमि. कार्यालय बिलासपुर में अवकाश के दौरान बिना भुगतान के अध्ययन बावत जा रहे हैं। विद्याथियों का प्रशिक्षण 28 दिवसीय है। विद्यार्थी बैकुण्ठपुर छत्तीसगढ़ में प्रेक्टिकल ट्रेनिंग करेंगे। इनमें ये विद्यार्थी शामिल हैं - संजीव कुमार सिंह, पंकज कुमार शर्मा, दीपक द्विवेदी, अश्विनी कुमार प्रजापति, मो. राहिब, अभिषेक शर्मा, प्रशांत कुमार सिंह, दीपक साहू इत्यादि हैं। इस बात की जानकारी देते हुए एकेएसयू के माइनिंग डीन डाॅ. जी.के. प्रधान ने बताया कि विद्यार्थी एसईसीएल की खदान एवं इकाइयों मे कार्य करेंगे। और विषय का समुचित ज्ञान प्राप्त करेगें जो उनके कैरियर के लिये काफी अहम् साबित होगा।

एकेएस यूनिवर्सिटी सतना में वल्र्ड जूनोसेस डे पर हुई संगोष्ठी

सतना। विध्य क्षेत्र के शैक्षणिक गौरव एकेएस यूनिवर्सिटी सतना अपने विद्यार्थियों के शैक्षणिक, सामाजिक एवं नैतिक शिक्षा के साथ ही आध्यात्मिक सर्वांगीण विकास हेतु कटिबद्ध रहते हुए समय-समय पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करती है। एकेएसयू के एनवायरमेंट साइंस विभाग द्वारा वल्र्ड जूनोसेस डे (विश्व पशुजन्य रोग दिवस) के अवसर पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें एनवायरमेंट साइंस के विभागाध्यक्ष डाॅ. महेन्द्र तिवारी ने बताया कि जूनोटिक रोग स्वाभाविक रूप से हड्डी वाले जानवरों से मनुष्यो के बीच संचारित एक संक्रामक रोग है। भारत एक कृषि प्रधान देश है। 80 प्रतिशत से अधिक ग्रामीण आबादी पशुओं के साथ निकट संयोग में रहती है। इस तरह मनुष्यों में रोगों के संचरण की संभावना अधिक पाई जाती है। जूनोटिक रोगों के निवारण एवं देखाभाल के लिये लोगों में जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता है। डब्ल्यूएचओ ने जोनेटिक रोगों की रोकथापपूर्ण चेतावनी और प्रतिक्रिया प्रणाली का सुझााव दिया था। कुछ उभरती हुई बीमारियां 75 प्रतिशत जूनोसेस के कारण होती हैं जैसे - जापानी इन्सेफेलाइटिस, लेप्टो इस्पाईरोसेस, स्वाईन फ्लू, बर्ड फ्लू। इस अवसर पर समस्त विभागों के फैकल्टीज एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।