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फुटबाल मे पेले और क्रिकेट मे ब्रेडमैन के समतुल्य रहे मेजर ध्यानचंद
सतना। एकेएस यूनिवर्सिटी सतना के सभागार मे 29 अगस्त को हाँकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद का जन्मदिवस ”राष्ट्रीय खेल दिवस“ के रूप मे मनाया गया । एकेएसयू के विभिन्न संकायो के विद्यार्थियों की उपस्थित मे एन.एस.एस. प्रभारी एवं ं मुख्य कार्यक्रम अधिकारी डाॅ. महेन्द्र कुमार तिवारी एवं कार्यक्र्र्रम अधिकारी डाॅ. दीपक मिश्रा ने विद्यार्थियो को राष्ट्रीय खेल दिवस की महŸाा पर रोचक जानकारियों से रूबरू कराया । ध्यानचंद को हाँकी का जादूगर क्यो कहा जाता है और उन्होने भारतीय हाँकी को क्या-क्या सौगातें खेल के दम पर दिलवायी इस पर भी चर्चा की गई। मेजर ध्यानचंद के हाँकी के प्रति प्रेम और देशप्रेम पर भी चर्चा की गई भारतीय हाँकी के महान खिलाड़ी ने विश्व हाँकी मे जितना नाम कमाया उसके साथ-साथ उनका जीवन सतत् साधना ,अभ्यास,लगन,संघर्ष और संकल्प के सहारे आगे बढ़ा ।इस मौके पर उस घटना का भी जिक्र किया गया जब हाँकी के जादूगर की हाँकी स्टिक तोड़कर यह देखा गया कि हाँकी स्टिक मे चुम्बक तो नही है। उनकी हाँकी की कलाकारी को देखकर ही हिटलर ने भी जर्मनी से खेलने की पेशकश की थी। मेजर ध्यानचंद एम्सट्डर्म ओलंपिक, लांस एंजलिस ओलंपिक एवं वर्लिन ओलंपिक मे शामिल रहे और इन तीनो मौको पर भारत ने ओलंपिक का स्वर्ण पदक जीता था।

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सतना। एकेएस यूनिवर्सिटी सतना के एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग चतुर्थ सेमेस्टर के विद्यार्थी केन्द्रीय कृषि यंत्र परीक्षण एवं प्रशिक्षण संस्थान बुधनी एवं उत्तरी क्षेत्र केन्द्रीय कृषि यंत्र परीक्षण एवं प्रशिक्षण संस्थान हिसार हरियाणा के निदेशक ओमकार सिंह एवं वरिष्ठ प्रशिक्षक इंजीनियर जे.जे. आर नरवरे तथा सुनील कुमार पटिल के निर्देशन में रेग्युलर कोर्स ट्रेनिंग प्राप्त की । टेªनिंग के दौरान छात्र समस्त यंत्र एवं मशीनों जैसे डिस्प्लाऊ, रोटोवेटर, रीवर, मूवर, हार्वेस्टर की संरचना बनाने में उपयोग की गई तकनीकों के साथ मशीनों की एसेम्बलिंग एवं डिसमेन्टलिंग करने का तकनीकी प्रायोगिक ज्ञान  दिया गया जिससे  छात्रो ने  सम्पूर्ण मशीनों एवं अभियंत्रों के प्रत्यके अवयव एवं उनकी वास्तविक कार्य विधि का प्रयोगिक परिचय प्राप्त किया। विद्यार्थियों ने बताया कि यह टेªनिंग भविष्य में उन्हें कृषि यंत्र एवं उपकरण के विनिर्माण क्षेत्र में तथा कृषि में इनके उपयोग, परीक्षण एवं प्रशिक्षण हेतु रोजगार के अवसर प्रदान करेंगी। एकेएसयू के कृषि इंजीनियरिंग के छात्र भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही कृषि यंत्रीकरण योजना को आगे बढ़ाने में सहायक सिद्ध होगे।

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सतना। अवधेषप्रताप सिंह विष्वविद्यालय से संबद्ध राजीव गांधी महाविद्यालय रीवा रोड सतना के कामर्स विभाग में पोस्टर निर्माण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। आयेाजित प्रतियोगिता की थीम दहेज प्रथा पर आधारित थी, जिसमें सभी छात्र-छात्राओं ने पोस्टर के माध्यम से इस कुप्रथा के दुश्परिणामेां को अपनी कला के माध्यम से अभिव्यक्त दी एवं दहेज प्रथा से समाज को मुक्त होने संदेष दिये। पोस्टर प्रतियोगिता में बी.काम. प्रथम सेमेस्टर की रूशा बैनर्जी ने सर्वश्रेष्ठ पोस्टर का निर्माण किया; उन्होंने निर्मित पोस्टर में सुंदर संदेष के साथ ही अपनी कला की अभिव्यक्ति पेंसिल का स्कैच बनाकर दी। उन्हें प्रथम पुरुस्कार से अलंकृत किया गया। इसी क्रम में बीकाम प्रथम सेमेस्टर की छात्रा आकांक्षा मिश्रा ने द्वितीय स्थान एवं रोषनी अग्रवाल ने तृतीय स्थान प्राप्त किया।

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सतना। एकेएस यूनिवर्सिटी, सतना के सभागार में अखण्ड भारत दिवस के अवसर पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों द्वारा माँ सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन एवं माल्यार्पण कर किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के तौर पर सुरेन्द्र जी एवं मुख्य वक्ता के रूप में शैलेन्द्र जी उपस्थित रहे। अध्यक्षता डीन आॅफ लाइफ सांइस डाॅ. आर.पी.एस. धाकरे ने की। कार्यक्रम  मे मुख्य वक्ता के रूप में उपथित शैलेन्द्र जी ने अखण्ड भारत की परिकल्पना से विद्यार्थियों को रुबरु कराया। b2ap3_thumbnail_unnamed-1_20140828-101300_1.jpg

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सतना। म.प्र. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय सतना द्वारा 27 अगस्त 2014 को सिविल लाइन स्थित भरहुत होटल में आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में मुख्य अतिथि के तौर पर एकेएस यूनिवर्सिटी सतना के कुलाधिपति बी.पी. सोनी ने शिरकत की। इन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि ‘‘भय बिन होय न प्रीति’’, हमें हमारे प्रशासन एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को पुलिस प्रशासन के साथ सहयोग लेकर प्लाटर आॅफ पेरिस एवं विषैले रंग के रसायनों का प्रयोग कर प्रतिमाओं का निर्माण करने वाले कारीगरों के साथ सख्ती से पेश आना होगा, और उन्हें इन विषैले पदार्थों को छोड़कर इको-फ्रेंडली एवं छोटी से छोटी प्रतिमाओं का निर्माण करने के लिये प्रेरित करना होगा। कार्यक्रम के आयोजन करने वाले सदस्यों एवं संस्थानों को भी शासन एवं माननीय न्यायालय द्वारा दिये गये निर्देशानुसार ही प्रतिमाओं का विसर्जन एवं जल स्त्रोतों को प्रदूषण मुक्त रखने के लिये प्रेरित करना होगा। कार्यशाला में विशिष्ट वक्ता के रूप में एकेएस यूनिवर्सिटी के पर्यावरण विभाग के प्राध्यापक डाॅ. महेन्द्र कुमार तिवारी ने कहा कि हमें पर्यावरण के अनुकूल मूर्तियों का निर्माण प्राकृतिक सामग्री जैसे कागज की लुगदी, धान का पैरा, मिट्टी, पत्तियों, हल्दी एवं अन्य प्राकृतिक रंगों का उपयोग करते हुए प्रतीकात्मक प्रतिमाओं का निर्माण करना होगा। साथ ही सार्वजनिक पंडालों की संख्या सीमित कर एक पंडाल में एक ही मूर्ति की स्थापना कर उर्जा संरक्षण के लिये सीएफएल, रंगीन कागज एवं पूजन सामग्री में प्लास्टिक के थैलों के बजाए कागज एवं कपड़ों के थैलों का प्रयोग कर विसर्जन के दौरान पटाखों का कम से कम प्रयोग करते हुए कृतिम रूप से निर्मित मूर्ति विसर्जन टैंकों में प्रतिमाओं का विसर्जन करने के लिये प्रेरित करना होगा         । b2ap3_thumbnail_snapshot_002.jpg

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