एकेएस यूनिवर्सिटी, सतना के सभागार में पर्यावरण विभाग द्वारा ‘‘वाटर एंड एनर्जी - 2014’’ थीम पर ‘‘विष्व जल दिवस’’ के अवसर पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमंे जल के संरक्षण, महत्व एवं उपयोग के कम होने के कारणों जैसे मुद्दों पर विस्तार से गहन चर्चा की गई। कार्यक्रम की शुरुआत माँ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यापर्ण एवं दीप प्रज्जवलन से हुई। यूनाईटेड नेषन्स की सामान्य सभा ने 1992 में एजेन्डा 21 में 22 मार्च को विष्व जल दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया। यह दिवस 1993 से लगातार मनाया जा रहा है। गौरतलब है कि ‘‘वर्ष 2014 के विष्व जल दिवस की थीम वाटर एंड एनर्जी’’ है क्योंकि जल और ऊर्जा एक दूसरे से अन्तः सम्बन्धित एवं परस्पर निर्भर है। ऊर्जा उत्पादन ,संचरण एवं वितरण के लिए जल संसाधन का उचित उपयोग किया जाना आवष्यक है। ऊर्जा उत्पादन का लगभग 80 प्रतिषत भाग विभिन्न उपभोक्ताओं द्वारा पार्पिग, ट्रीडिंग एवं ट्रांसपोटेषन के लिए उपयोग किया जाता है। अतः हम सभी को जल की उपयोगिता एवं मूल्य को समझते हुए जल संरक्षण की विभिन्न विधियों का उपयोग कर जल संरक्षण करना चाहिए। इस अवसर पर विष्वविद्यालय के बायोटेक विभाग के छात्र-छात्राएँ उपस्थित रहें।