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एकेएस विश्वविद्यालय, सतना ने वर्ष 2019 में किसानों को एक नई सौगात-लाल भिंडी प्रदान किया है जिसकी फलियाँ लाल रंग की 24-25 सेमी लंबी पांच धारियों वाली तथा स्वाद में हरी-भिंडी से अधिक स्वादिष्ट होती हैं। लाल भिंडी का बीज प्रत्यक्षण हेतु सब्जी उत्पादकों को वितरित करते हुए एकेएस विश्वविद्यालय के प्रतिकुलाधिपति इंजी0 अनंत कुमार सोनी ने कहा कि कृषि अनुसंधान के क्षेत्र में लाल सीता मूली के बाद लाल भिंडी हमारी दूसरी महत्वपूर्ण उपलब्धि है। उन्होंने पुनः कहा कि लाल भिंडी की उपज अधिक होने से यह किसानों की माली हालत सुधारने में मददगार अवश्य सिद्ध होगी।लाल भिंडी की प्रजनक डाॅ0 विनीता देवी, सहायक प्राध्यापिका, अनुवांशिकी एवं पौध प्रजनन विभाग ने बताया कि इस किस्म का विकास सी.ओ.-1 भिंडी के बीज को ई.एम.एस. नामक रसायन से 24 घण्टे तक उपचारित करके उत्परिवर्तन प्रजनन (म्यूटेशन ब्रीडिंग) विधि द्वारा विकसित किया गया है। इस किस्म के भिंडी की फलियों का लाल रंग आयोडीन तथा आयरन तत्वों के अधिकता को दर्शाता है। इस किस्म की सब्जी का सेवन करने से घंेघा तथा एनिमिया रोग दूर होंगे।उद्यान विभाग के निदेशक डाॅ0 के. आर. मौर्य ने बताया कि विश्व में भारत, सब्जी उत्पादन में चीन के बाद दूसरे स्थान पर तथा भिंडी उत्पादन में प्रथम स्थान है। भारत विश्व के कुल भिंडी उत्पादन का अकेले 72 प्रतिशत यानी कि 5784 हजार टन भिंडी उपजाता है। अपने देश में भिंडी की अनेक किस्मों का विकास हुआ है परंतु लाल रंग की किस्मों का अभाव था। भिंडी की खेती की सबसे बड़ी समस्या पीत शिरा मोजैक विषाणु रोग है जिसके लगने पर उपज 80-90 प्रतिशत तक घट जाती है परंतु लाल भिंडी की यह किस्म पीत शिरा मोजैक विषाणु का प्रक्षेत्र प्रतिरोधी है। किसान इसकी खेती बरसात तथा गर्मी दोनों मौसम में कर सकते हैं।