सतना। अगर कृषक खेती के पारंपरिक तरीकों की अपेक्षा आधुनिक खेती की ओर चलेंगे तो कम लागत में अपनी उपज को बढ़ा सकते हैं। इसके लिए बहुत ज्यादा खाद और पेस्टीसाइड का उपयोग न करें।यह बात ऐ के एस विश्वविद्यालय के रावे समन्वयक सात्विक बिसरिया ने बुधवार को अमरपाटन रोड स्थित भटनवारा में आयोजित कृषि संगोष्ठी कार्यक्रम में कृषकों को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि हमारा देश कृषिप्रधान देश है। कृषि के क्षेत्र में वह दिनोंदिन प्रगति कर रहा है। जैसा हम खाने में नमक का उपयोग स्वाद अनुसार करते हैं, वैसे ही खेती में पानी का उपयोग करें।किसानों को गेहूं की उन्नत किस्म और इसके उत्पादन के बारे में जानकारी दी गई। किसानों को हाईब्रीड बीज बोने से होने वाले अधिक उत्पादन के लाभ की जानकारी विश्वविद्यालय धेरेन्द्र चतुर्वेदी ने दी।विश्वविद्यालय की कृषि विभाग के वैज्ञानिक राजबीर सिंह ने किसानों को शासन की कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी लेकर इनका लाभ उठाने का आव्हान किया। उन्हें धान पौध रोपण के लिये पेड़ी ट्रांसप्लांटर, कटाई के लिए रीपर, जुताई के लिए ट्रैक्टर, केजव्हील, कल्टीवेटर, रोटावेटर, हार्वेस्टर, स्प्रिंकलर,ड्रिप आदि की जानकारी भी दी गई। भूमानन्द सरस्वती ने जैविक खेती करने संबंधी प्रशिक्षण दिया । धान , अरहर व सब्जी की पैदावार में जैविक खाद का उपयोग बताया।विश्वविद्यालय की कृषि विभाग के वैज्ञानिक आर सी पाांडेयेे ने किसानों को विभिन्न फसलो में विभिन्न प्रकार के रोगों व कीटो के विषय मे जानकरी दी।कार्यक्रम में लगभग 50 किसानों ने हिस्सा लिया व विश्वविद्यालय के रावे के छात्र भी उपस्थित रहे।