b2ap3_thumbnail_s-1.JPGb2ap3_thumbnail_s2.JPGb2ap3_thumbnail_s3.JPGb2ap3_thumbnail_s4.JPG                                                                                                                          सतना। विंध्य क्षेत्र के शैक्षणिक गौरव एकेएस विश्वविद्यालय के सभागार में आदिगुरू शंकराचार्य पर विचारगोष्ठी का भव्य आयोजन किया गया। कार्यक्रम प्रमुख सचिव म.प्र. शासन योजना आर्थिकी एवं सांख्यिकीय विभाग मंत्रालय के निर्देशानुसार आयोजित किया गया। उल्लेखनीय है कि आदिगुरू शंकराचार्य की प्रतिमा स्थापना हेतु धातु संग्रहण एवं जनजागरण अभियान के लिये एकात्म यात्रा का आयोजन सतना जिले में 25 दिसम्बर से 27 दिसम्बर तक किया जायेगा। एकात्म यात्रा से पूर्व आदिगुरू शंकराचार्य के व्यक्तित्व, जीवन दर्शन एवं सामाजिक उपदान पर केन्द्रित विचारगोष्ठी में उनके द्वारा विरचित श्लोकों का सामूहिक ज्ञान का आयोजन हुआ। वि.वि. के प्रतिकुलपति डाॅ. हर्षवर्धन ने अतिथियों का परिचय एवं स्वागत किया। प्रदीप तिवारी जिला समन्वयक जनकल्याण परिषद ने बताया कि अद्वैत दर्शन के प्रणेता आदिगुरू शंकाराचार्य भगवान शंकर के अवतार थे। उनकी 108 फिट ऊंची प्रतिमा की स्थापना 100 एकड़ के परिसर में स्थापित की जानी है। इस मौके पर अरुण कुमार सिंह, सतना डीजे, फैमिली कोर्ट ने रामायण की चैपाई‘‘ बड़े भाग मानुष तन पावा‘‘ का महत्व बताते हुए आदिगुरू शंकराचार्य के जन्म, लालन-पालन, बाल्यकाल एवं आध्यात्मिक जीवन पर विस्तार से आध्यात्मिक आख्यानों के माध्यम से प्रकाश डाला उन्होंने आदिगुरू शंकराचार्य की दिग्विजय यात्रा की जानकारी भी दी। इस मौके पर प्रो. पारितोष के. बनिक, कुलपति एकेएस वि.वि.,डायरेक्टर अवनीश सोनी, मधुसूदन शास्त्री के साथ वि.वि. परिवार के समस्त सदस्य उपस्थित रहे।इस मौके पर विरचित श्लोकों के प्रथम एवं द्वितीय विजेताओं को सम्मानित भी किया गया।कार्यक्रम का संचालन करते हुए वि.वि. के बायोटेक फैकल्टी डाॅ. दीपक मिश्रा ने कार्यक्रम की परिचयात्मक रूपरेखा प्रस्तुत की।