एकेएस. विश्वविद्यालय के इंजीनियरिंग डीन डाॅ. जी.के. प्रधान ने भारत सरकार के पर्यावरण मंत्रालय द्वारा मेघालय की राजधानी सिंलाॅग में 17 नवम्बर को आयोजित बैठक में हिस्सा लिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता भारत सरकार के वरिष्ठ वैज्ञानिक डाॅ. वी.पी. उपाध्याय ने की।
इन पहलुओं पर हुई चर्चा
बैठक में मेघालय में स्थित लाइम स्टोन एवं सीमेंट प्लांट के पर्यावरण पर पड़ रहे प्रभाव के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गयी।
इन संस्थानों की रही सहभागिता
भारत सरकार के चंडीगढ़, भोपाल, जे.एस.आई. (जुलाजिकल सर्वे आॅफ इण्डिया), मिजोरम युनिवर्सिटी, बोटानिकल सर्वे आॅफ इण्डिया, सी.एस.आई. हैदराबाद आदि प्रमुख संस्थानों से विषय विशेषज्ञो ने सहभागिता दर्ज कराई। कार्यक्रम में मेघालय के 13 सीमेंट कंपनियों के मुख्य अधिकारी एवं इंजीनियर्स की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।
सर्फेस माइनर के प्रचलन पर दिया गया जोर
खनन संबंधी चर्चा के लिए एकेएस. विश्वविद्यालय के इंजीनियरिंग डीन डाॅ. जी.के. प्रधान को आमंत्रित किया गया। डाॅ. प्रधान ने खनन द्वारा पर्यावरण के प्रभाव पर विस्तृत जानकारी देते हुये पूर्वोत्तर भारत में खनन प्रक्रिया में बारूद का प्रयोग पूर्ण रूप से प्रतिबंधित करने पर जोर देते हुये वैज्ञानिक एवं तकनीकी प्रावधानों पर जोर दिया।साथ ही पर्यावरण मंत्रालय द्वारा जारी सूचना में बारूद का प्रयोग प्रतिबंधित करने के साथ सर्फेस माइनर के प्रचलन पर महत्व दिया।
एकेएस करेगा सहयोग
म्स्टिर प्रधान ने कहा कि एकेएस. विश्वविद्यालय मेघालय में संचालित इन 13 खदानों में अपनी रिसर्च के माध्यम से सर्फेस माइनर के प्रचलन पर कार्य करेगा। और इसके परिणाम भविष्य के लिए सुखद हों इस बात की भी कोशिश की जाएगी।